THE SMART TRICK OF HINDI STORY THAT NOBODY IS DISCUSSING

The smart Trick of hindi story That Nobody is Discussing

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गर्मी के दिन थे। बादशाह ने उसी फाल्गुन में सलीमा से नई शादी की थी। सल्तनत के सब झंझटों से दूर रहकर नई दुलहिन के साथ प्रेम और आनंद की कलोलें करने, वह सलीमा को लेकर कश्मीर के दौलतख़ाने में चले आए थे। रात दूध में नहा रही थी। दूर के पहाड़ों की चोटियाँ चतुरसेन शास्त्री

जब मैं सड़क पर आई तो ठंडी और ताजी हवा के स्पर्श मात्र से ही मुस्करा पड़ी तभी मेरी नजर एक ज्योतिष-केन्द्र पर पड़ी तो वहाँ जाने से मैं खुद को रोक न सकी। अपने आप ही मेरे कदम उधर बढ़ गए। मैंने देखा, वहाँ भीड़ नहीं थी। वैसे तो ज्योतिष पर मुझे विश्वास नहीं था, पर अब थोड़ा-थोड़ा यकीन होने लगा 

वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया।

उत्तरा नाम के एक गाँव में कुसलनाथ नाम का एक पुजारी अपनी पत्नी और छह बेटों के साथ रहता था। वह धनी-मानी व्यक्ति था लेकिन कुछ दुर्भाग्य के कारण उसे पैसों की समस्या होने लगीं। स्थिति इतनी खराब थी कि पुजारी को जीवन यापन के लिए अतिरिक्त काम करने पड़े। वह जंगल से बांस की लकड़ी इकट्ठा करता था। एक दिन उसने जंगल की आग में फंसे एक छोटे से नाग को देखा। जैसे ही उसने नाग को बचाया, उसने उसे काटने की कोशिश की। इसके बाद पुजारी रोने लगा। नाग ने महसूस किया कि पुजारी सिर्फ उसकी मदद कर रहा था और उसे काटना गलत था। उसने अपने परिवार की भलाई के लिए पुजारी को दो रत्न भेंट किए। पुजारी ने फिर उसी स्थान पर नाग के सम्मान में एक छोटा मंदिर बनवाया।

नोट–इस अत्यंत संक्षिप्त टिप्पणी में असंख्य अत्यंत महत्वपूर्ण कहानियाँ छूट गई हैं, जिनमें अज्ञेय की 'शरणदाता', 'विपथगा', और 'रोज़', निर्मल वर्मा की 'परिंदे', और 'कौए और कालापानी', अमरकांत की 'बू' और 'ज़िंदगी और जोंक', कृष्णा सोबती की 'यारों के यार' और 'मित्रो मरजानी', काशीनाथ सिंह की 'सुख' और अन्य कहानियां, विनोद कुमार शुक्ल की 'पाठशाला', हिंदी कहानी में अपनी अपूर्व जगह रखनेवाले विरल कथाकार रामनारायण शुक्ल की 'सहारा' और 'खलनायक', राजेंद्र यादव की 'टूटते खिलौने' और 'जहां लक्ष्मी क़ैद है', मन्नू भंडारी, कृष्ण बलदेव वैद, स्वयं प्रकाश, शेखर जोशी, ओम प्रकाश वाल्मीकि, देवेंद्र, शिवमूर्ति, बलराम, अमितेश्वर, व्रजेश्वर मदान, चंद्रकिशोर जायसवाल, जयनंदन, अवधेश प्रीत, प्रियंवद, सृंजय, सनत कुमार ..... सूची बहुत लंबी है.

(एक) खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि अज्ञेय

हिंदू धार्मिक समाज की जाति व्यवस्था पर यह कहानी एक गहरी मार्मिक आधुनिक टिप्पणी की तरह है, जो आज और अधिक प्रासंगिक हो उठी है.

As Ranganath navigates the elaborate Internet of village politics, corruption, and social hierarchies, the novel exposes the hypocrisy and moral decay commonplace in The agricultural Indian society of the time. The title “

मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।

स्कूल में लेट होने के कारण मैडम डांट भी लगाती थी।

जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।

इन्दुमती अपने बूढ़े पिता के साथ विंध्याचल के घने जंगल में रहती थी। जबसे उसके पिता वहाँ पर कुटी बनाकर रहने लगे, तब से वह बराबर उन्हीं के साथ रही; न जंगल के बाहर निकली, न किसी दूसरे का मुँह देख सकी। उसकी अवस्था चार-पाँच वर्ष की थी जबकि उसकी माता का परलोकवास किशोरीलाल गोस्वामी

कुछ बड़ा कर गुजरने की कोई आयु नहीं होती। अपनी प्रतिभा से समाज को भी बदला जा सकता है।

लेकिन उसे अपनी लंबी पूंछ पर बहुत गर्व था। अपनी लंबी लंबी पूंछ के कारण, वह कभी अपने पड़ोसियों के पास नहीं जा सका। वह केवल बड़े घरों और पैसे वाले लोगों से मिलने जाता था। उसके घमण्ड के कारण उसके पड़ोसी उसे नापसंद करने लगे। वे पीठ पीछे मोर का मजाक उड़ाते थे। एक दिन उन्होंने उस से मज़ाक करने का करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि click here एक बर्ड क्लब बनाया गया है और सभी पक्षियों ने मोर को अपना नेता

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